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रविवार, 18 सितंबर 2016

बज़ा

अपनी मजा,
उसकी रजा,
शिकवा नहीं,
जो है बज़ा।

प्रस्तुतकर्ता विमल कुमार शुक्ल 'विमल' पर 3:24 pm कोई टिप्पणी नहीं:
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