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गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

सबक

दस वर्ष तक देश में इटैलियन सरकार रही और इसने कांग्रेस पार्टी के भूसा भर दिया। ठगी और घोटालों के लिए आजादी के बाद के ये 10 साल काले अक्षरों में लिखे जायेंगे। कितना अच्छा होता कि जब अन्ना हजारे जंतर मन्तर पर धरना दे रहे थे तो कांग्रेस को सचेत होकर अपने काम काज में सुधार लाना चाहिए था तथा देश से अपनी करनी के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए थी शायद जनता माफ़ करती और कांग्रेस तीसरी बार सत्ता में होती। किन्तु लेंड़ फूल गया था अजीर्ण की मारी कांग्रेस तुरंत बोली धरना और प्रदर्शन करना या यूं कहें कि हंगामा करना दूसरी बात है तथा चुनाव लड़कर शासन में आना और शासन चलाना दूसरी बात। अगर केजरीवाल सत्ता में आकर दिखाएँ तो समझ में आयेगा। केजरीवाल ने पार्टी बनाई चुनाव लडा और सत्ता भी पाई अरे चुनौती देने वालों अब बैठकर बनाओ बार अउर लगाओ तेल। आज का केजरीवाल विभिन्न दलों की अकर्मण्यता का परिणाम है। जिनमे कांग्रेस के साथ बीजेपी भी शामिल है। जो लोग लोकसभा चुनावों में मोदी की सत्ता नशीनी को अमित शाह के मैनेजमेंट और मोदी के व्यक्तित्व को देख रहे हैं उन्हें अब भी समझ जाना चाहिए कि इस जीत में लोगों की कांग्रेस के प्रति घृणा का भी अहम रोल था। केजरीवाल की जीत सभी दलों के साथ  साथ केजरीवाल के लिए भी सबक है जो काम करेगा वह चलेगा। बहुत कठिन है डगर पनघट की।

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