दिन-प्रतिदिन की घटनाओं पर लेखक की बेबाक राय|
मुझे उस पर कभी अविश्वास न था। उसे मुझ पर कभी विश्वास न था। उसे मैं खुश रखूँ औकात न थी, किया मैंने उसे तो उदास न था।। مجھے اُس پر کبھی اوشواس ن تھا۔ اُسے مجھ پر کبھی وشواس ن تھا۔ اُسے مین کھس رکھون آوکات ن تھی۔ کیا مینے اسے تو اداس ن تھا۔
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