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शनिवार, 17 जून 2017

अविश्वास

मुझे उस पर कभी अविश्वास न था।
उसे मुझ पर कभी विश्वास न था।
उसे मैं खुश रखूँ औकात न थी,
किया मैंने उसे तो उदास न था।।
مجھے اُس پر کبھی اوشواس ن تھا۔
اُسے مجھ پر کبھی وشواس ن تھا۔
اُسے مین کھس رکھون آوکات ن تھی۔
کیا مینے اسے تو اداس ن تھا۔

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