दिन-प्रतिदिन की घटनाओं पर लेखक की बेबाक राय|
जब आप एक लाइन खींचकर कहोगे कि मैं इधर हूँ तो जाहिर है कि कुछ लोग लाइन के उधर भी होंगे। यह बात तथाकथित सेक्युलरों को कब समझ आएगी।
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