दिन-प्रतिदिन की घटनाओं पर लेखक की बेबाक राय|
जिस देश का बंटवारा ही धर्म की नींव पर हुआ हो और जाति के आधार एक और बंटवारा होते होते रह गया हो उस देश में चुनाव बिना जाति धर्म की बात किये कैसे निपट सकते हैं।
त्वरित टिप्पणी कर उत्साह वर्धन करें.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
त्वरित टिप्पणी कर उत्साह वर्धन करें.