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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

तुष्टिकरण

महाराष्ट्र में हुए निकाय चुनाव के परिणाम उन दलों के मुँह पर एक तमाचा हैं जिन्होंने आजादी के बाद से लेकर अब तक तुष्टिकरण की राजनीति की है| कभी अल्पसंख्यक हित तो कभी दलित उत्थान के नाम पर बहुसंख्यकों की उपेक्षा का परिणाम है बीजेपी का उभार| कांग्रेस हमेशा सोचती रही बहुसंख्यक हिन्दू वोट उससे छिटककर कहाँ जायेगा बस दलित और मुस्लिम करते रहो| उसके पीछे तमाम तथाकथित समाजवादी व सेक्युलर भी चल पड़े जिनके लिए समाजवाद और सेक्युलर का मतलब था बहुसंख्यक हिन्दुओं की उपेक्षा| दलों को सावधान होना पड़ेगा कि अब पब्लिक उनके बीजेपी रोको झांसे में तभी आयेगी जब वे बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक राग छोडकर केवल जरूरतमन्दों के विकास की बात करेंगे| अब देश में अल्पसंख्यक विकास दलित विकास जैसे नारे अब नहीं चलने वाले अब वही चलेगा जो बिना भेदभाव के सबके विकास की बाट करेगा| बीजेपी को भी सावधान रहना होगा कि बहुसंख्यक वोट के चक्कर में अल्पसंख्यकों का अहित भी न हो|

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