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शुक्रवार, 3 मार्च 2017

नमकहरामी

हमारे देश का यह दुर्भाग्य है कि लोग यहाँ शासन करने या लूट पाट करने या कभी कभार सेवा का स्वांग करने के इरादे से देश में आये और इसकी मिटटी पानी से आकर्षित होकर यहाँ रच बस गये| लेकिन उन लोगों में तमाम् ऐसे हैं जो अपनी भक्ति का टोकरा अभी भी वहीं उठाये हुए खड़े हैं जहाँ से वे आये हैं| ये अपने को वामपंथी, सेक्युलर और धर्मनिरपेक्ष न जाने क्या कहते रहते हैं और इस देश का नमक पानी खा पीकर नमकहरामी करते हैं|

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