हमारे देश का यह दुर्भाग्य है कि लोग यहाँ शासन करने या लूट पाट करने या कभी कभार सेवा का स्वांग करने के इरादे से देश में आये और इसकी मिटटी पानी से आकर्षित होकर यहाँ रच बस गये| लेकिन उन लोगों में तमाम् ऐसे हैं जो अपनी भक्ति का टोकरा अभी भी वहीं उठाये हुए खड़े हैं जहाँ से वे आये हैं| ये अपने को वामपंथी, सेक्युलर और धर्मनिरपेक्ष न जाने क्या कहते रहते हैं और इस देश का नमक पानी खा पीकर नमकहरामी करते हैं|
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