दिन-प्रतिदिन की घटनाओं पर लेखक की बेबाक राय|
यूं तो आदमी से दूर मैदान की घास चरते रहे। लेकिन भाषणों में मुद्दों की रिक्तता भरते रहे। कोई माने न माने कहे न कहे सत्य ये है इस बार सिर्फ गधे थे जो बहुत ही मशहूर रहे।
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