दिन-प्रतिदिन की घटनाओं पर लेखक की बेबाक राय|
पास थी गुलबिया मगर दूर हो गयी। राँग नम्बर की गुलब्बो हूर हो गयी। अपना जनाजा वक्त से पहले उठा होता, राँग नम्बर से दवा भरपूर हो गयी।
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