दिन-प्रतिदिन की घटनाओं पर लेखक की बेबाक राय|
हाँथों बनी है कुदरती नहीं है, इसकी पिलाई उतरती नहीं है, पीता नहीं जो उसे क्या पता है, क्या कह दिया रूह मरती नहीं है?
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