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शुक्रवार, 9 मार्च 2018
बुद्ध और लेनिन
सोमवार, 20 नवंबर 2017
मुझे नहीं आता
कल मेरे एक पुराने मित्र से मुलाकात हुई। प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। अच्छे स्टूडेंट रहे हैं। मुझसे अपना दर्द व्यक्त कर रहे थे अगर सच है तब चिंतनीय है।
मुझसे बोले पण्डित जी मुझे कक्षा 5 के सवाल नहीं आते वजह यह नहीं मुझे आता नहीं। वजह है कि मेरा अधिकांश समय अपनी नौकरी बचाने में निकल जाता है। पढ़ने पढ़ाने का समय कहाँ से लाएं।
शनिवार, 18 नवंबर 2017
कोउ नृप होइ
कोउ नृप होइ हमैं का मामू।
रिश्वत से हुईहै सब कामू।।
बसपा देखि सपा का देखो।
बीजेपी को अलग न लेखो।
लंका में सब वावन गज के।
हारि गए हम सबका भज के।।
बन्धुओं कविता की अपनी सीमाएं हैं अतः गद्य का सहारा भी ले रहा हूँ। बसपा शासन में रिश्वत लेते समय कहा जाता था कि बहन जी को देना है इसलिये रेट कम नहीं होगा। अधिकारी कर्मचारी और बसपाई मौज में थे जनता मायावती को कोसती जाती थी और भृष्ट व्यवस्था में पिसती जाती थी मायावती जी का कोष समृद्ध होता जाता था। सपा का शासन आया तब यह तो कोई नहीं कहता था कि यादव जी को देना है मगर यह जरूर था कि अधिकारी कर्मचारी कहते थे रेट कम नहीं होगा अकेले हम थोड़े ही खाते हैं यह रिश्वत ऊपर तक जाती है अब कितनी ऊपर तक जाती थी पता नहीं किन्तु कार्यकर्ता जरूर चाँदी काटते थे। अब योगी जी का शासन है तो अधिकारी कर्मचारी यह भी नहीं कहता है कि ऊपर तक पहुंचाना है किन्तु बिना रिश्वत लिए सीट पर हिलते भी नहीं और रेट भी हाई फाइ। सीधे व्यंग्य होता है बीजेपी मतलब सबका साथ सबका विकास तो क्या हमारा विकास भी तो जरूरी है। जनता का तो विनाश ही होना है। अधिकारी इतने निरंकुश हो गए हैं कि मेरे अनुभव में आया एक जायज काम के लिये विधायक तक की सिफारिश बेकार गयी। अब किसका आसरा करें यह यक्ष प्रश्न है।
बुधवार, 15 नवंबर 2017
पद्मावती
पद्मावती की चर्चा को लेकर एक कह रहे थे इतिहास पढ़ा क्या? जायसी के पद्मावत से पहले तो इसका कोई इतिहास नहीं मिलता जो साहित्य उपलब्ध है जायसी का परवर्ती है तथा उसमें भी इतिहासकारों में बड़ा मतभेद है ऐसे सभी लोगों को मेरी यह पोस्ट एक जवाब है| बात मतभेदों की करें तो लोग राम और कृष्ण की भी ऐतिहासिकता पर प्रश्न उठा देते हैं हो सकता है कि उनका कोई इतिहास न भी हो किन्तु इससे उनका महत्व नहीं घटता| इस बात से कोई इतिहासकार इनकार नहीं करता कि 14वीं सदी के प्रारम्भ में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया और चित्तौड़ की स्त्रियों ने जौहर| हो सकता है पद्मावती न रही हो किन्तु यह चरित्र भारतीय जनमानस में इतने गहरे उतर गया है कि पद्मावती का मानमर्दन लोगों को उद्वेलित कर देगा| और अगर वाकई तथाकथित सेकुलरों को लगता है कि पद्मावती काल्पनिक है अलाउद्दीन काल्पनिक है चित्तौड़ काल्पनिक है तो फिर यह फिल्म पद्मावती के नाम से ही क्यों? कहानी के पात्रों के नाम व स्थान कहीं के कुछ भी हो सकते थे? लेकिन नहीं साहब विवाद खड़े करने ने फिल्मकारों का हित तो सधता ही है साथ ही सेक्युलर अथवा नॉनसेक्युलर इन दोनों का भी हित सधता है और सब अपना अपना दाल रोटी चलता है| आप को अच्छा लगे तो अस्मिता पर प्रहार होते देख लो जिन्हें नहीं अच्छा लगेगा वे नहीं देखेंगे| और इस प्रकार दोनों अपना अपना बिज़नेस करेंगे|
कुछ लोग गाली माँ बहन की गलियाँ भी देने पर उतर आये हैं इस बात को लेकर कि व्यवधानों के कारण उन्हें बड़ी मनोरंजक फिल्म देखने को नहीं मिली| ये जो गाली दे रहे हैं न उनसे उनका भारतीयता से जुडाव पूंछना चाहूँगा माँ का दूध पिया है तो एक गाली हिन्दी अथवा संस्कृत में देकर दिखाएँ| गुलामी करते करते बुद्धि भृष्ट हो गयी है नसों में सूअर का खून दौड़ने लगा है इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता किसी पर फिल्म बना लो और कुछ भी दिखा दो ये मनोरंजन में पैदा हुए लोग मनोरंजन हर जगह मनोरंजन ही देखते हैं| मेरा उद्देश्य किसी की भावनायें आहत करने का नहीं है किन्तु तभी तक जब तक मेरी भावनाओं का ख्याल रखा जायेगा|