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शनिवार, 2 मई 2015

लूट की कोई हद नहीं

पिहानी में एक स्कूल है St. Xavier's. कमाल है लूट की कोई हद नहीं। इसी स्कूल की मुख्य ब्रांच हरदोई की तुलना में इसकी फीस बहुत ज्यादा है। फिर मजे की बात यह है कि जब आप एडमिशन के लिए जायेंगे तो फ़ीस कुछ और होगी। जब एडमिशन ले चुकेंगे तब फ़ीस कुछ और होगी। जी हाँ यही हुआ इस बार मैं यहाँ कक्षा 9 में एक बच्चे को प्रवेश दिलाया हूँ। एडमिशन के समय ट्यूशन फीस 1300 रुपये प्रति माह बताई गयी। यह फीस एडमिशन रसीद में भी अंकित है। किन्तु जब फ़ीस कार्ड बांटे गये तो इसमें फीस 1500 रूपये लिए जाने की बात कही गयी।

नुकसानं

बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश व माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश को न जाने क्या सूझी इस बार उसने सत्र जुलाई से शुरू करने की बजाय अप्रैल से शुरू करने का निर्णय लिया। अब इसका लाभ भले ही दीर्घकाल में नजर आये किन्तु तुरंत नुकसान ही हुआ।
1-पिछले सत्र में विद्यार्थी को समय कम मिला।
2- इस सत्र का डेढ़ महिना बेकार चला गया। मार्च में पेपर हो गये। फिर जिन बच्चों ने स्कूल की ओर रुख किया। वे नगण्य हैं।
3- जो बच्चे स्कूल नहीं आये वे जब जुलाई में स्कूल आयेंगे तो पिछली कक्षा का सब कुछ भूल चुके होंगे।
4-नई कक्षाओं में प्रवेश पिछड़ गये हैं। कक्षा 8 पास होने वाले मात्र 15% बच्चों ने कक्षा 9 में प्रवेश लिया है। जब यह जुलाई में प्रवेश लेने आयेंगे तब छात्रवृत्ति फार्म ऑनलाइन करने की अंतिम तारीख निकल चुकी होगी।
5- मेरा निजी नुक्सान यह हुआ कि मेरी फ़ीस जमा करने वाले अधिकांश किसान थे। एक तो वे इस वर्ष तंग दस्त हैं। दूसरे जब परीक्षाएं हो रहीं थीं तो उनके पास पैसा नहीं था। अब जब थोड़ा बहुत मौसम की मार से बचा बचाया मेरे हिस्से का कुछ है तो अब बच्चे स्कूल से नदारद हैं। फ़ीस कौन दे? एवरेज प्रति विद्यार्थी 4 माह की फ़ीस मुझे डूबती हुई दिखाई देती है। जुलाई में बच्चे प्रायः स्कूल बदल लेते हैं।

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

आत्महत्या

ये बुरे दिन हमेशा न रहेंगे। आत्महत्या किसी समस्या का इलाज नहीं है। कर्ज की लत लग जाती है तो ऐसी घटनाएँ बढ़ जाती हैं। सरकार को चाहिए कि किसानों की आय बढ़ाने के उपायों पर काम करे न कि उन्हें कर्ज की सुविधाएं देने पर।

शनिवार, 21 मार्च 2015

ऊधौ

ऊधौ मन न भये दस बीस। एक हुतो सो गयो श्याम संग को अवराधे ईश।
मतलब ये कि किसी किसान ने अप्रैल में फसल तैयार होने पर लौटाने का वादा करके उधौ नामक किसी महाजन से कर्ज ले लिया। फसल तैयार हुई और कट गयी। तब उधौ जी अपनी वसूली करने पहुंच गये किसान की चौखट पर। किसान ने उधौ के हाथ पैर जोड़े और कहा उधौ जी इस बार हमारे खेत में फसल बहुत कम हुई। अगर दस बीस मन गल्ला पैदा हुआ होता तो मैं आपका कर्ज चुका देता। केवल एक मन गल्ला पैदा हुआ था सो मैंने आपके मित्र श्याम से भी कुछ कर्ज ले रखा था। वो अभी थोड़ी देर पहले आये थे मैंने उन्हें चुकता कर दिया। आप राधे से प्रार्थना करें की ईश् की कृपा हो तो आपकी कुछ व्यवस्था कर सकूं।

गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

सबक

दस वर्ष तक देश में इटैलियन सरकार रही और इसने कांग्रेस पार्टी के भूसा भर दिया। ठगी और घोटालों के लिए आजादी के बाद के ये 10 साल काले अक्षरों में लिखे जायेंगे। कितना अच्छा होता कि जब अन्ना हजारे जंतर मन्तर पर धरना दे रहे थे तो कांग्रेस को सचेत होकर अपने काम काज में सुधार लाना चाहिए था तथा देश से अपनी करनी के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए थी शायद जनता माफ़ करती और कांग्रेस तीसरी बार सत्ता में होती। किन्तु लेंड़ फूल गया था अजीर्ण की मारी कांग्रेस तुरंत बोली धरना और प्रदर्शन करना या यूं कहें कि हंगामा करना दूसरी बात है तथा चुनाव लड़कर शासन में आना और शासन चलाना दूसरी बात। अगर केजरीवाल सत्ता में आकर दिखाएँ तो समझ में आयेगा। केजरीवाल ने पार्टी बनाई चुनाव लडा और सत्ता भी पाई अरे चुनौती देने वालों अब बैठकर बनाओ बार अउर लगाओ तेल। आज का केजरीवाल विभिन्न दलों की अकर्मण्यता का परिणाम है। जिनमे कांग्रेस के साथ बीजेपी भी शामिल है। जो लोग लोकसभा चुनावों में मोदी की सत्ता नशीनी को अमित शाह के मैनेजमेंट और मोदी के व्यक्तित्व को देख रहे हैं उन्हें अब भी समझ जाना चाहिए कि इस जीत में लोगों की कांग्रेस के प्रति घृणा का भी अहम रोल था। केजरीवाल की जीत सभी दलों के साथ  साथ केजरीवाल के लिए भी सबक है जो काम करेगा वह चलेगा। बहुत कठिन है डगर पनघट की।