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बुधवार, 15 नवंबर 2017

पद्मावती

आजकल पद्मावती की बड़ी चर्चा हो रही है| अभी पद्मावती मैंने देखी नहीं है इसलिए इस पर कोई बहस नहीं| किन्तु जैसा कि कहा जा रहा है कि पद्मावती को अलाउद्दीन की प्रेमिका के रूप में दर्शाया गया है यदि यह सत्य है तो ऐसी अभिव्यक्ति की आजादी किसी को नहीं दी जा सकती| फ़िल्मकार फिल्मकार बना रहे तो अच्छा, इतिहास को गलत ढंग से तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करेगा तो उसे इतिहास कभी माफ़ नहीं करेगा| ऐसे लोगों को आज नहीं तो कल जवाब देना ही होगा|
पद्मावती की चर्चा को लेकर एक कह रहे थे इतिहास पढ़ा क्या? जायसी के पद्मावत से पहले तो इसका कोई इतिहास नहीं मिलता जो साहित्य उपलब्ध है जायसी का परवर्ती है तथा उसमें भी इतिहासकारों में बड़ा मतभेद है ऐसे सभी लोगों को मेरी यह पोस्ट एक जवाब है| बात मतभेदों की करें तो लोग राम और कृष्ण की भी ऐतिहासिकता पर प्रश्न उठा देते हैं हो सकता है कि उनका कोई इतिहास न भी हो किन्तु इससे उनका महत्व नहीं घटता| इस बात से कोई इतिहासकार इनकार नहीं करता कि 14वीं सदी के प्रारम्भ में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया और चित्तौड़ की स्त्रियों ने जौहर| हो सकता है पद्मावती न रही हो किन्तु यह चरित्र भारतीय जनमानस में इतने गहरे उतर गया है कि पद्मावती का मानमर्दन लोगों को उद्वेलित कर देगा| और अगर वाकई तथाकथित सेकुलरों को लगता है कि पद्मावती काल्पनिक है अलाउद्दीन काल्पनिक है चित्तौड़ काल्पनिक है तो फिर यह फिल्म पद्मावती के नाम से ही क्यों? कहानी के पात्रों के नाम व स्थान कहीं के कुछ भी हो सकते थे? लेकिन नहीं साहब विवाद खड़े करने ने फिल्मकारों का हित तो सधता ही है साथ ही सेक्युलर अथवा नॉनसेक्युलर इन दोनों का भी हित सधता है और सब अपना अपना दाल रोटी चलता है| आप को अच्छा लगे तो अस्मिता पर प्रहार होते देख लो जिन्हें नहीं अच्छा लगेगा वे नहीं देखेंगे| और इस प्रकार दोनों अपना अपना बिज़नेस करेंगे|
कुछ लोग गाली माँ बहन की गलियाँ भी देने पर उतर आये हैं इस बात को लेकर कि व्यवधानों के कारण उन्हें बड़ी मनोरंजक फिल्म देखने को नहीं मिली| ये जो गाली दे रहे हैं न उनसे उनका भारतीयता से जुडाव पूंछना चाहूँगा माँ का दूध पिया है तो एक गाली हिन्दी अथवा संस्कृत में देकर दिखाएँ| गुलामी करते करते बुद्धि भृष्ट हो गयी है नसों में सूअर का खून दौड़ने लगा है इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता किसी पर फिल्म बना लो और कुछ भी दिखा दो ये मनोरंजन में पैदा हुए लोग मनोरंजन हर जगह मनोरंजन ही देखते हैं| मेरा उद्देश्य किसी की भावनायें आहत करने का नहीं है किन्तु तभी तक जब तक मेरी भावनाओं का ख्याल रखा जायेगा|

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