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सोमवार, 20 नवंबर 2017

मुझे नहीं आता

कल मेरे एक पुराने मित्र से मुलाकात हुई। प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। अच्छे स्टूडेंट रहे हैं। मुझसे अपना दर्द व्यक्त कर रहे थे अगर सच है तब चिंतनीय है।
मुझसे बोले पण्डित जी मुझे कक्षा 5 के सवाल नहीं आते वजह यह नहीं मुझे आता नहीं। वजह है कि मेरा अधिकांश समय अपनी नौकरी बचाने में निकल जाता है। पढ़ने पढ़ाने का समय कहाँ से लाएं।

शनिवार, 18 नवंबर 2017

कोउ नृप होइ

कोउ नृप होइ हमैं का मामू।
रिश्वत से हुईहै सब कामू।।
बसपा देखि सपा का देखो।
बीजेपी को अलग न लेखो।
लंका में सब वावन गज के।
हारि गए हम सबका भज के।।
बन्धुओं कविता की अपनी  सीमाएं हैं अतः गद्य का सहारा भी ले रहा हूँ। बसपा शासन में रिश्वत लेते समय कहा जाता था कि बहन जी को देना है इसलिये रेट कम नहीं होगा। अधिकारी कर्मचारी और बसपाई मौज में थे जनता मायावती को कोसती जाती थी और भृष्ट व्यवस्था में पिसती जाती थी मायावती जी का कोष समृद्ध होता जाता था। सपा का शासन आया तब यह तो कोई नहीं कहता था कि यादव जी को देना है मगर यह जरूर था कि अधिकारी कर्मचारी कहते थे रेट कम नहीं होगा अकेले हम थोड़े ही खाते हैं यह रिश्वत ऊपर तक जाती है अब कितनी ऊपर तक जाती थी पता नहीं किन्तु कार्यकर्ता जरूर चाँदी काटते थे। अब योगी जी का शासन है तो अधिकारी कर्मचारी यह भी नहीं कहता है कि ऊपर तक पहुंचाना है किन्तु बिना रिश्वत लिए सीट पर हिलते भी नहीं और रेट भी हाई फाइ। सीधे व्यंग्य होता है बीजेपी मतलब सबका साथ सबका विकास तो क्या हमारा विकास भी तो जरूरी है। जनता का तो विनाश ही होना है। अधिकारी इतने निरंकुश हो गए हैं कि मेरे अनुभव में आया एक जायज काम के लिये विधायक तक की सिफारिश बेकार गयी। अब किसका आसरा करें यह यक्ष प्रश्न है।

बुधवार, 15 नवंबर 2017

पद्मावती

आजकल पद्मावती की बड़ी चर्चा हो रही है| अभी पद्मावती मैंने देखी नहीं है इसलिए इस पर कोई बहस नहीं| किन्तु जैसा कि कहा जा रहा है कि पद्मावती को अलाउद्दीन की प्रेमिका के रूप में दर्शाया गया है यदि यह सत्य है तो ऐसी अभिव्यक्ति की आजादी किसी को नहीं दी जा सकती| फ़िल्मकार फिल्मकार बना रहे तो अच्छा, इतिहास को गलत ढंग से तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करेगा तो उसे इतिहास कभी माफ़ नहीं करेगा| ऐसे लोगों को आज नहीं तो कल जवाब देना ही होगा|
पद्मावती की चर्चा को लेकर एक कह रहे थे इतिहास पढ़ा क्या? जायसी के पद्मावत से पहले तो इसका कोई इतिहास नहीं मिलता जो साहित्य उपलब्ध है जायसी का परवर्ती है तथा उसमें भी इतिहासकारों में बड़ा मतभेद है ऐसे सभी लोगों को मेरी यह पोस्ट एक जवाब है| बात मतभेदों की करें तो लोग राम और कृष्ण की भी ऐतिहासिकता पर प्रश्न उठा देते हैं हो सकता है कि उनका कोई इतिहास न भी हो किन्तु इससे उनका महत्व नहीं घटता| इस बात से कोई इतिहासकार इनकार नहीं करता कि 14वीं सदी के प्रारम्भ में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया और चित्तौड़ की स्त्रियों ने जौहर| हो सकता है पद्मावती न रही हो किन्तु यह चरित्र भारतीय जनमानस में इतने गहरे उतर गया है कि पद्मावती का मानमर्दन लोगों को उद्वेलित कर देगा| और अगर वाकई तथाकथित सेकुलरों को लगता है कि पद्मावती काल्पनिक है अलाउद्दीन काल्पनिक है चित्तौड़ काल्पनिक है तो फिर यह फिल्म पद्मावती के नाम से ही क्यों? कहानी के पात्रों के नाम व स्थान कहीं के कुछ भी हो सकते थे? लेकिन नहीं साहब विवाद खड़े करने ने फिल्मकारों का हित तो सधता ही है साथ ही सेक्युलर अथवा नॉनसेक्युलर इन दोनों का भी हित सधता है और सब अपना अपना दाल रोटी चलता है| आप को अच्छा लगे तो अस्मिता पर प्रहार होते देख लो जिन्हें नहीं अच्छा लगेगा वे नहीं देखेंगे| और इस प्रकार दोनों अपना अपना बिज़नेस करेंगे|
कुछ लोग गाली माँ बहन की गलियाँ भी देने पर उतर आये हैं इस बात को लेकर कि व्यवधानों के कारण उन्हें बड़ी मनोरंजक फिल्म देखने को नहीं मिली| ये जो गाली दे रहे हैं न उनसे उनका भारतीयता से जुडाव पूंछना चाहूँगा माँ का दूध पिया है तो एक गाली हिन्दी अथवा संस्कृत में देकर दिखाएँ| गुलामी करते करते बुद्धि भृष्ट हो गयी है नसों में सूअर का खून दौड़ने लगा है इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता किसी पर फिल्म बना लो और कुछ भी दिखा दो ये मनोरंजन में पैदा हुए लोग मनोरंजन हर जगह मनोरंजन ही देखते हैं| मेरा उद्देश्य किसी की भावनायें आहत करने का नहीं है किन्तु तभी तक जब तक मेरी भावनाओं का ख्याल रखा जायेगा|

बुधवार, 25 अक्तूबर 2017

रिटायर्ड अध्यापक

60 से ऊपर का #रिटायर्ड अध्यापक #सहायताप्राप्त विद्यालयों में लगाने की ऐसी क्या मजबूरी है? क्या उत्तर प्रदेश में ट्रेंड #बेरोजगारों का अभाव हो गया है? या फिर कुर्सी पर बैठ कर ऊंघता हुआ अध्यापक अधिक कार्यकुशल हो जाता है? जिनके मुंह से सिर्फ हवा निकले और पिछली पंक्ति तक आवाज न पहुंचे ऐसे अध्यापक किस काम के वैसे भी 55 से ऊपर के तमाम कर्मचारी अपने अपने बेटों या अन्य परिजनों को लेकर अपने कार्यस्थल पर पहुंच पाते हैं तथा अपना कार्य प्रायः बाहरी लोगों या परिजनों से कराते हैं ऐसे में रिटायर्ड लोगों को नियुक्त कर #विद्यालय, बेरोजगारों व वृद्धों की #वृद्धावस्था के आनन्द तीनों की हत्या न करें प्लीज|

बुधवार, 18 अक्तूबर 2017

दीप

दीप धर्म का, दीप कर्म का।
दीप सृजन का, दीप मनन का।
दीप ज्ञान का, दीप मान का,
दीप नीति का, दीप प्रीति का,
दीप भाव का, दीप चाव का।
दीप जले नित, जगती के हित।।

रविवार, 1 अक्तूबर 2017

जैसा देखा


पढ़ने में होशियार बच्चा,
पैसे से लाचार बच्चा|
कच्ची ऊम्र दिख रही है,
पक्का दुनियादार बच्चा|

शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

धूप

29/09/2017
कभी छत पर चली आती है,
तो कभी खिड़की से आकर.
चारपाई पर सिरहाने बैठ जाती है|
कभी काटती तो कभी दुलार करती,
धूप कितने रंग दिखाती है|

अदालत की कार्यप्रणाली एक नमूना

भारतीय अदालत की कार्यप्रणाली का एक नमूना:-
वादी किसी डॉक्यूमेंट को सम्मिट करने के लिए अदालत से एक हफ्ते का समय मांगता है, उसका प्रार्थनापत्र अदालत में रखकर अगली डेट दी जाती है अगली डेट पर प्रतिवादी एक प्रार्थना पत्र देता है कि प्रार्थना पत्र स्वीकार करने योग्य नहीं है| उसकी अगली तारीख पर वकील बहस करते हैं कि समय मांगने का प्रार्थना पत्र स्वीकार जाये या न स्वीकारा जाये| उसकी अगली डेट पर जज निर्णय करता है कि समय दिया गया या नहीं| इस प्रक्रिया में वादी को कम से कम 4 तारीखों का समय मिलता है दिन महीने में बात करें तो मिनिमम 4 दिन जब रोज सुनवाई हो वरना अल्लाह मालिक| मेरे एक मामले में 9 तारीखें हुईं और डेढ़ वर्ष का समय लगा तब मुझे डॉक्यूमेंट सममित करने की अनुमति मिली सिविल जज जूनियर डिविजन हरदोई में| साला एक घंटे का काम नहीं था|

बुधवार, 28 जून 2017

हथियार

हाथ में हथियार लेकर क्या करेगी?
और उनको धार देकर क्या करेगी?
तू तो बस आकर निकल इस शहर से,
ये है पब्लिक देखकर तुझको मरेगी?

रविवार, 18 जून 2017

गुनहगार

अगर मैं तेरा प्यार हूँ।
तो बिल्कुल गुनहगार हूँ।
समझता नहीं तू मुझे,
मैं आदत से लाचार हूँ।

اگر مین تیرا پیار ہون۔
تو بِلکُل گُنہگار ہون۔
سمجھتا نہیں تو مُجھے
میں آدت سے لاچار ہوں۔

शनिवार, 17 जून 2017

अविश्वास

मुझे उस पर कभी अविश्वास न था।
उसे मुझ पर कभी विश्वास न था।
उसे मैं खुश रखूँ औकात न थी,
किया मैंने उसे तो उदास न था।।
مجھے اُس پر کبھی اوشواس ن تھا۔
اُسے مجھ پر کبھی وشواس ن تھا۔
اُسے مین کھس رکھون آوکات ن تھی۔
کیا مینے اسے تو اداس ن تھا۔

मंगलवार, 13 जून 2017

गुलबिया और गुलब्बो

कउनौ पूछि बइठा दद्दा जा गुलब्बो कउन रही, पहिले तउ मन मा आई कि रहइ देई न बताई। फिरि मन मा आई कि बतावइ मा कउनउ परेशानी तउ हइ नाइ सो बताये देति हैं। जा गुलब्बो कउन रही साथइ मा गुलबियउ का जानि लेउ फिरि ना पूछेउ कि जा कउन रही।
गुलबिया लैसेंसी गुलब्बो है कट्टा।
गुलबिया है नामे गुलब्बो है पट्टा।
गुलबिया है माथे का चन्दन हमारे।
गुलब्बो तौ हमरे गले का दुपट्टा।।

मंगलवार, 23 मई 2017

कच्चे फल

साथ इतनी जल्दी तोड़े नहीं जाते|
भरोसे इस तरह छोड़े नहीं जाते|
आदमी को परखने में वक्त लेना,
कच्चे फल हमेशा फोड़े नहीं जाते|

शनिवार, 6 मई 2017

ब्रांडेड आइटम

आजकल प्रायः हम ब्राण्डेड आइटम पसन्द करने लगे हैं, किसी भी कम्पनी का प्रचार हमें आकर्षित लेता है हम उस कम्पनी के उत्पाद को स्टेट्स सिम्बल मानकर प्रयोग करने लगते हैं। लेकिन सावधान सभी कम्पनियां अपने लाभ से प्रेरित होकर कार्य करती हैं न कि आपके। मैने अपने निजी प्रयोगों में बहुधा महसूस किया है कि ब्रांडेड तेल, साबुन, क्रीम, टूथपेस्ट आदि। आपको प्रायः हानि पहुंचाते हैं और आप जान भी नहीं पाते। अतः मेरा सुझाव है कि ब्रांडेड आइटम का प्रयोग तभी करें जब विकल्प उपलब्ध न हो। करें तो लगातार एक ही कम्पनी का कोई उत्पाद सेवन न करें क्योंकि कभी कभी हो सकता है कि आप डॉक्टर को भी फायदा पहुंचायें और कम्पनी को भी।

शुक्रवार, 5 मई 2017

लिखो लिखो

लिखो लिखो इतिहास लिखो।
धरा लिखो आकाश लिखो।
जो लिखना हो सच लिखना,
गहन लिखो परिहास लिखो।

बुधवार, 3 मई 2017

चाँद

🌃
चाँद खिड़की से निकलकर व्हाट्स एप पर आ गया है।
उसके  प्रोफाइल  का  फ़ोटो दिल  पे  मेरे  छा  गया  है।
ठीक  से  रखता  नहीं  हूँ  मैसेजों  के   मैं  हिसाब,
फिर भी मेरी जिंदगी  का  चैन  सारा खा  गया  है।।

गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

प्यार


😖  😘
है सबके ही भाग्य में, पीर-प्यार का योग।
वक्त वक्त पर रोग है, वक्त वक्त पर भोग।।
सबके कहाँ नसीब में, लिखा हुआ है प्यार।
मुझे नकद मिलता नहीं, उसको मिला उधार।।

मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

चुस्त

🤔
अंगूर चाहता था अनार दे गयी।
माँगा था एक दाना हजार दे गयी।
फल की दुकानदारी में चुस्त थी बहुत,
हाँथों में सन्तरे दो रसदार दे गयी।।
©विमल कुमार शुक्ल 'विमल'

सोमवार, 24 अप्रैल 2017

रूह मरती नहीं

हाँथों बनी है कुदरती नहीं है,
इसकी पिलाई उतरती नहीं है,
पीता नहीं जो उसे क्या पता है,
क्या कह दिया रूह मरती नहीं है?

रविवार, 23 अप्रैल 2017

अँधा इश्क

😍
हाय अंधे इश्क ने क्या क्या नहीं किया।
अम्मी कहा माशूक को बहन कह दिया।
चाची कहा उसे जो चालाक थी बहुत,
मौसी कहा कभी कभी बुआ कह दिया।
@विमल कुमार शुक्ल'विमल'

शनिवार, 22 अप्रैल 2017

भोलापन

भोलापन कमजोरी नहीं होती ये वो ताकत है जिसके कारण व्यक्ति छल छंदों के बीच भी खुद को सुरक्षित पाता है। भोला आदमी हार कर भी सुख पाता है और काइंया हरा कर भी सोचता है मजा नहीं आया थोडा और प्रताड़ित किया होता।

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

गाथा

खुद की खातिर समय नहीं,
वो गैरों की गाथा ले आये।
सुन सुन जिसको कान पके,
वो समाचार ताजा ले आये।

गुलबिया

पास थी गुलबिया मगर दूर हो गयी।
राँग नम्बर की गुलब्बो हूर हो गयी।
अपना जनाजा वक्त से पहले उठा होता,
राँग नम्बर से दवा भरपूर हो गयी।

गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

गुलब्बो

💑
किसी गुलब्बो का राँग नम्बर था।
दिल बहुत बड़ा था छोटा अम्बर था।
यूं ही sms आये गए चार दिन, फिर,
वो मुझसे बेखबर थी,
मैं उससे बेखबर था।

मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

ग़ालिब

बन्द मय और मयखाने होंगे।
क्या ग़ालिब हमें भुलाने होंगे?
मधुशाला छोड़ दुग्धशाला पर,
बच्चन जी गीत सुनाने होंगे?
बच्चन यानी हरिवंश राय जिन्होंने मशहूर रचना मधुशाला प्रस्तुत की है।

जख्म

हाय क्या जख्म है? वो हटते हैं उभर आता है।
उनका आना बाअसर, चेहरे पे नूर उतर आता है।

ऋणं

श्रेयस्करं ऋणं अधुना अति,
किञ्चित् मा भयभीतमना भव।
यदि शासनं न क्षमा तत्परं,
तदा विदेशे प्रस्थानं कुरु।।

शुक्रवार, 31 मार्च 2017

विद्यालयों का सत्र

उत्तर प्रदेश सरकार से मेरा निवेदन है कि विद्यालयों का सत्र पुनः जुलाई से जून करें| क्योंकि अप्रैल से मार्च के सत्र में बच्चों का कम से 25 दिन का अध्ययन अध्यापन मारा जाता है| अब ३० मार्च को कक्षा ८ पास होने के बाद छात्र प्रवेश के लिए भटकेगा बहुत कम विद्यालय अपने यहाँ छात्रों का प्रवेश लेने की व्यवस्था कर पायेंगे| बोर्ड #परीक्षायें चल रही हैं जो २१ अप्रैल तक चलेंगी| उसके बाद जब उन बच्चों का कक्षा ९ में प्रवेश होगा| अगर उससे पहले प्रवेश हो भी जाये तो भी जिन विद्यालयों में परीक्षाएं हो रहीं हैं वहाँ अध्ययन अध्यापन की सम्भावना शून्य हैं| अब गरीब का बच्चा या तो 3 महीने में सब भूल जायेगा या फिर गिरवीं गांठ करके प्राइवेट ट्यूटर के शोषण का शिकार होगा| मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि पिछली सरकार ने कुछ ऐसी व्यवस्था की थी ताकि गरीब का बच्चा फिसड्डी रह जाये|

बुधवार, 29 मार्च 2017

तुषार का दर्द


मेरी कविता का आनन्द मेरी अपनी आवाज में| साथ ही एक बालक की पीड़ा का अनुभव भी आपको अवश्य होगा| कभी कभी कुछ काम बच्चे भी बड़ी संजीदगी से कर देते हैं|

सोमवार, 20 मार्च 2017

परीक्षा और पूजा

परीक्षा और पूजा में एक समता होती है|
एक जगह भक्त कि दूसरे में छात्र कि परीक्षा होती है|
भगवान को भोग लगता है भगवान कुछ खाता नहीं है|
छात्र पास होता है भले ही उसे कुछ आता नहीं है|

सोमवार, 13 मार्च 2017

इन्हीं लोगों ने लै लीना

इन्हीं लोगों ने, इन्हीं लोगों ने।
इन्हीं लोगों ने ले लीना सिंहासन मोरा।
हमरी न मानो अखिलेशवा से पूछो।
अखिलेशवा से पूछो... जिसने.....पंचर कर दीना, तोड़ा साइकिल मोरा।
हमरी न मानो राहुलवा से पूछो।
हमरी न मानो सैंया...राहुलवा से पूछो।
जिसने केसरिया रंग दीना, फटा कुरता मोरा।
हमरी न मानो, हमरी न मानो।
हमरी न मानो... सैंया ...बहिनिया से पूछो।
ई वी एम् गड़बड़ कीना, चित्त है हाथी मोरा।

शुक्रवार, 10 मार्च 2017

गधे


यूं तो आदमी से दूर मैदान की घास चरते रहे।
लेकिन भाषणों में मुद्दों की रिक्तता भरते रहे।
कोई माने न माने कहे न कहे सत्य ये है
इस बार सिर्फ गधे थे जो बहुत ही मशहूर रहे।

मंगलवार, 7 मार्च 2017

भूत


आपने भूत नहीं देखा तो देखें अपने आप सब उलत पलट रहा है| मौका मिला तो शूट कर लिया|

धरा

मेरे एक मित्र ने पूछा खुले आसमान के नीचे जन्मे हो|
मैं कहना चाहूँगा:-
ये जो आसमान सिर पर धरा है|
और नीचे जो पैरों के धरा है|
पता नहीं इनका साथ कब छूटे,
मौज से जी नफरत में क्या धरा है?
कृपया इसे कविता न समझें|
यह मेरा गद्य है|

शुक्रवार, 3 मार्च 2017

नमकहरामी

हमारे देश का यह दुर्भाग्य है कि लोग यहाँ शासन करने या लूट पाट करने या कभी कभार सेवा का स्वांग करने के इरादे से देश में आये और इसकी मिटटी पानी से आकर्षित होकर यहाँ रच बस गये| लेकिन उन लोगों में तमाम् ऐसे हैं जो अपनी भक्ति का टोकरा अभी भी वहीं उठाये हुए खड़े हैं जहाँ से वे आये हैं| ये अपने को वामपंथी, सेक्युलर और धर्मनिरपेक्ष न जाने क्या कहते रहते हैं और इस देश का नमक पानी खा पीकर नमकहरामी करते हैं|

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

तुष्टिकरण

महाराष्ट्र में हुए निकाय चुनाव के परिणाम उन दलों के मुँह पर एक तमाचा हैं जिन्होंने आजादी के बाद से लेकर अब तक तुष्टिकरण की राजनीति की है| कभी अल्पसंख्यक हित तो कभी दलित उत्थान के नाम पर बहुसंख्यकों की उपेक्षा का परिणाम है बीजेपी का उभार| कांग्रेस हमेशा सोचती रही बहुसंख्यक हिन्दू वोट उससे छिटककर कहाँ जायेगा बस दलित और मुस्लिम करते रहो| उसके पीछे तमाम तथाकथित समाजवादी व सेक्युलर भी चल पड़े जिनके लिए समाजवाद और सेक्युलर का मतलब था बहुसंख्यक हिन्दुओं की उपेक्षा| दलों को सावधान होना पड़ेगा कि अब पब्लिक उनके बीजेपी रोको झांसे में तभी आयेगी जब वे बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक राग छोडकर केवल जरूरतमन्दों के विकास की बात करेंगे| अब देश में अल्पसंख्यक विकास दलित विकास जैसे नारे अब नहीं चलने वाले अब वही चलेगा जो बिना भेदभाव के सबके विकास की बाट करेगा| बीजेपी को भी सावधान रहना होगा कि बहुसंख्यक वोट के चक्कर में अल्पसंख्यकों का अहित भी न हो|

बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

जाति धर्म

जिस देश का बंटवारा ही धर्म की नींव पर हुआ हो और जाति के आधार एक और बंटवारा होते होते रह गया हो उस देश में चुनाव बिना जाति धर्म की बात किये कैसे निपट सकते हैं।

सेक्युलर

जब आप एक लाइन खींचकर कहोगे कि मैं इधर हूँ तो जाहिर है कि कुछ लोग लाइन के उधर भी होंगे। यह बात तथाकथित सेक्युलरों को कब समझ आएगी।

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017