मेरे अन्य ब्लॉग

गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

प्यार


😖  😘
है सबके ही भाग्य में, पीर-प्यार का योग।
वक्त वक्त पर रोग है, वक्त वक्त पर भोग।।
सबके कहाँ नसीब में, लिखा हुआ है प्यार।
मुझे नकद मिलता नहीं, उसको मिला उधार।।

मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

चुस्त

🤔
अंगूर चाहता था अनार दे गयी।
माँगा था एक दाना हजार दे गयी।
फल की दुकानदारी में चुस्त थी बहुत,
हाँथों में सन्तरे दो रसदार दे गयी।।
©विमल कुमार शुक्ल 'विमल'

सोमवार, 24 अप्रैल 2017

रूह मरती नहीं

हाँथों बनी है कुदरती नहीं है,
इसकी पिलाई उतरती नहीं है,
पीता नहीं जो उसे क्या पता है,
क्या कह दिया रूह मरती नहीं है?

रविवार, 23 अप्रैल 2017

अँधा इश्क

😍
हाय अंधे इश्क ने क्या क्या नहीं किया।
अम्मी कहा माशूक को बहन कह दिया।
चाची कहा उसे जो चालाक थी बहुत,
मौसी कहा कभी कभी बुआ कह दिया।
@विमल कुमार शुक्ल'विमल'

शनिवार, 22 अप्रैल 2017

भोलापन

भोलापन कमजोरी नहीं होती ये वो ताकत है जिसके कारण व्यक्ति छल छंदों के बीच भी खुद को सुरक्षित पाता है। भोला आदमी हार कर भी सुख पाता है और काइंया हरा कर भी सोचता है मजा नहीं आया थोडा और प्रताड़ित किया होता।

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

गाथा

खुद की खातिर समय नहीं,
वो गैरों की गाथा ले आये।
सुन सुन जिसको कान पके,
वो समाचार ताजा ले आये।

गुलबिया

पास थी गुलबिया मगर दूर हो गयी।
राँग नम्बर की गुलब्बो हूर हो गयी।
अपना जनाजा वक्त से पहले उठा होता,
राँग नम्बर से दवा भरपूर हो गयी।

गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

गुलब्बो

💑
किसी गुलब्बो का राँग नम्बर था।
दिल बहुत बड़ा था छोटा अम्बर था।
यूं ही sms आये गए चार दिन, फिर,
वो मुझसे बेखबर थी,
मैं उससे बेखबर था।

मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

ग़ालिब

बन्द मय और मयखाने होंगे।
क्या ग़ालिब हमें भुलाने होंगे?
मधुशाला छोड़ दुग्धशाला पर,
बच्चन जी गीत सुनाने होंगे?
बच्चन यानी हरिवंश राय जिन्होंने मशहूर रचना मधुशाला प्रस्तुत की है।

जख्म

हाय क्या जख्म है? वो हटते हैं उभर आता है।
उनका आना बाअसर, चेहरे पे नूर उतर आता है।

ऋणं

श्रेयस्करं ऋणं अधुना अति,
किञ्चित् मा भयभीतमना भव।
यदि शासनं न क्षमा तत्परं,
तदा विदेशे प्रस्थानं कुरु।।