बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश व माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश को न जाने क्या सूझी इस बार उसने सत्र जुलाई से शुरू करने की बजाय अप्रैल से शुरू करने का निर्णय लिया। अब इसका लाभ भले ही दीर्घकाल में नजर आये किन्तु तुरंत नुकसान ही हुआ।
1-पिछले सत्र में विद्यार्थी को समय कम मिला।
2- इस सत्र का डेढ़ महिना बेकार चला गया। मार्च में पेपर हो गये। फिर जिन बच्चों ने स्कूल की ओर रुख किया। वे नगण्य हैं।
3- जो बच्चे स्कूल नहीं आये वे जब जुलाई में स्कूल आयेंगे तो पिछली कक्षा का सब कुछ भूल चुके होंगे।
4-नई कक्षाओं में प्रवेश पिछड़ गये हैं। कक्षा 8 पास होने वाले मात्र 15% बच्चों ने कक्षा 9 में प्रवेश लिया है। जब यह जुलाई में प्रवेश लेने आयेंगे तब छात्रवृत्ति फार्म ऑनलाइन करने की अंतिम तारीख निकल चुकी होगी।
5- मेरा निजी नुक्सान यह हुआ कि मेरी फ़ीस जमा करने वाले अधिकांश किसान थे। एक तो वे इस वर्ष तंग दस्त हैं। दूसरे जब परीक्षाएं हो रहीं थीं तो उनके पास पैसा नहीं था। अब जब थोड़ा बहुत मौसम की मार से बचा बचाया मेरे हिस्से का कुछ है तो अब बच्चे स्कूल से नदारद हैं। फ़ीस कौन दे? एवरेज प्रति विद्यार्थी 4 माह की फ़ीस मुझे डूबती हुई दिखाई देती है। जुलाई में बच्चे प्रायः स्कूल बदल लेते हैं।
मेरे अन्य ब्लॉग
शनिवार, 2 मई 2015
नुकसानं
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
त्वरित टिप्पणी कर उत्साह वर्धन करें.