shiv तिवारी जी मैं बी.ए. तक अंग्रेजी साहित्य का विद्यार्थी रहा हूँ और हिंदी साहित्य का अनौपचारिक अध्येता भी और मैं आज भी अपने को विद्यार्थी ही मानता हूँ मगर एक बात आपको बता दूं अंग्रेजी भाषा में न लिपि और न ही बोल चाल के स्तर पर वैज्ञानिक है। आपको यह पता होना चाहिए अंग्रेजी अपने आप में कोई स्वतंत्र भाषा नही है यह उर्दू की ही तरह लैटिन रोमन फ्रेंच जर्मन चेक आदि भाषाओँ का मिला जुला रूप है। तथा अंग्रेजी का व्याकरण किसी वैज्ञानिक आधार पर नहीं जैसा क़ि संस्कृत के सन्दर्भ में पाणिनि का है। अंग्रेजी भाषा का व्याकरण अंग्रेजी लेखकों राजनीतिज्ञों व विद्वानों के द्वारा लिखे गये व वोले गये वाक्यांशों के पर्यवेक्षण द्वारा रचा व समझा गया है। यहाँ तक कि अंग्रेजी शब्दों की वर्तनी spelling में जो वर्ण लोप हो जाता है उसके मूल में यह वैज्ञानिकता या अविज्ञानिकता का प्रश्न नहीं है अपितु व्यवहारिकता का प्रश्न है। छापेखाने के अविष्कार के साथ शब्दों की स्पेलिंग नहीं बदली किन्तु उच्चारण बदल गया। अस्तु कभी भी अंग्रेजी को वैज्ञानिक भाषा समझने की भूल मत करियेगा। और ऐसा मैं इसलिए नही कह रहा की हिंदी से मुझे प्रेम है और अंग्रेजी से नफरत बल्कि ऐसा इसलिए की यथार्थ यही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
त्वरित टिप्पणी कर उत्साह वर्धन करें.