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सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

जनवरी-फरवरी

एक गीत सुनता था 'जनवरी फरवरी के दो महीने लगती है मुझको सर्दी' प्रायः सोचता था कि गाने या लिखने वाले का दिमाग फिर गया है क्योंकि जनवरी के बाद जाड़ा कभी दिखा ही नहीं। पर इस बार उत्तर भारत में फरवरी महीने में सरदी का जो आलम है उसे देखकर यही लगता है की ऐसे ही किसी सीजन में ठिठुर कर यह गीत लिखा गया होगा। आज 24 फरवरी है और ऐसा लगता है जैसे 24 फरवरी हो। मौसम पिछले कुछ सालों से जैसी अनियमितता दिखा रहा है मुझे कोई ताज्जुब नहीं होगा अगर किसी सुबह सोकर उठूँ और आंगन में बर्फ बिछी दिखाई दे या फिर सूरज आग गलता दिखाई दे। यह एक प्रकार की चेतावनी है की सावधान हो जा।

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