आर्मी स्कूल के 132 मासूमों की हत्या की जिम्मेदारी जिस तरह से तहरीके तालिबान ने स्वीकारी है। उससे पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपन्थ का घिनौना चेहरा उजागर हुआ है। खुदा या अल्लाह के किस स्वरूप के पूजक हैं ये लोग? क्या ये हत्यारे दुनिया में इस्लाम फैलायेंगे? अगर ऐसा तो मुझे अल्लाह के अस्तित्व पर सोंचना पड़ेगा। केवल पेशावर की बात नहीं है? बच्चे चाहे जहाँ के हों चाहे जिसके भी हों ईश्वर का स्वरूप होते हैं? मुझे नहीं लगता कि अल्लाह इस घटना से खुश हुआ होगा। निश्चित रूप से अगर खुदा है और वह न्याय कर्त्ता है तो इस घटना के गुनहगारों को माफ़ नहीं करेगा। ऐसा कोई भी धर्म नहीं कहता है कि बच्चों की हत्या कर किसी तरह का बदला लो। यह बुजदिलों का काम है।
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मंगलवार, 16 दिसंबर 2014
मासूमों की हत्या
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